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-इराकी मरीज स्क्रोटल एलीफेंटियासिस से था पीडि़त
गुरुग्राम, 10 जून (हि.स.)। भारत में दुर्लभ किस्म के एक मामले में स्क्रोटल एलीफेंटियासिस से पीडि़त 39 साल के इराकी मरीज का गुरुग्राम में सफल उपचार किया गया है। इस रोग के चलते शरीर के कुछ हिस्सों, खासतौर से पैरों और कई बार बाजुओं या जननांगों में असामान्य रूप से सूजन और त्वचा के सख्त होने की शिकायत होती है। इस जटिल केस में सूजन की वजह से मरीज सही ढंग से पेशाब भी नहीं कर पा रहा था। जननांगों समेत आसपास के हिस्सों में साफ-सफाई की समस्या भी होने लगी थी। फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफएमआरआई) गुरुग्राम के डॉक्टर्स ने उसका उपचार करके एक नई जिंदगी दी है।
प्लास्टिक सर्जरी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट गुरुग्राम के निदेशक डॉ. विपुल नंदा के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने मरीज की सर्जरी कर 26 किलोग्राम वजन के द्रव्यमान को सफलतापूर्वक निकाला। इस दौरान मरीज के जननांग को भी सुरक्षित रखा। यह जटिल सर्जरी लगभग 5-6 घंटे तक चली और 9 दिनों बाद मरीज को स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दी गई। सर्जरी से पहले मरीज का वजन 160 किलोग्राम था और वह पिछले 15 वर्षों से भी अधिक समय से एलिफेंटियासिस की समस्या से ग्रस्त था। इस कंडीशन में प्रभावित त्वचा लगातार सख्त होती रहती है और उसका आकार भी काफी बढ़ जाता है। इराकी मरीज के अंडकोष में एलिफेंटियासिस था, जिसके कारण प्रभावित अंग कई गुना बढ़ चुका था। उनके घुटनों के नीचे करीब पैरों के बीच तक झूलने लगा था।
उनके भारी वजन और मोटापे की वजह से उन्हें सांस लेने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। लेटने में भी परेशानी महसूस होती थी।
अस्पताल में प्लास्टिक और रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के एडिशनल डायरेक्टर डा. मानिक शर्मा ने कहा कि मरीज के भारी वजन के चलते उनके मूत्रमार्ग का मूल्यांकन करने के लिए सीटी या एमआरआई करना असंभव था। यहां तक की उनकी सख्त त्वचा और भारी टिश्यू मास की वजह से अल्ट्रासाउंड भी असफल रहा था। इन तमाम चुनौतियों के बावजूद हमारी टीम ने एनेस्थीसिया और रेडियोलॉजी विभागों के सहयोग से इस जटिल मामले में सर्जरी करने का फैसला किया। मरीज को एक दिन के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखने और कई बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता पड़ी। स्वास्थ्य में सुधार के बाद उन्हें स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दी गई और अब उनका वजन 124 किलोग्राम है। वह धीरे-धीरे ताकत वापस पा रहे हैं और सहायता से चलने भी लगे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर