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मुंबई,10जून ,( हि,. स.) । ‘विश्व नेत्रदान दिवस’ हर साल 10 जून को मनाया जाता है और आज इस अवसर पर ठाणे सिविल अस्पताल में नेत्रदान दिवस पखवाड़े के दौरान निःशुल्क मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और अन्य नेत्र शल्य चिकित्सा की शुरू की गई है साथ साथ ही अत्याधुनिक मशीनों का उपयोग करके जन जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि भारत समेत कई विकासशील देशों में दृष्टिहीनता एक गंभीर समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कॉर्निया, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा से संबंधित बीमारियां अंधेपन का मुख्य कारण हैं। ऐसे में नेत्रदान कई दृष्टिहीन लोगों के लिए नया जीवन बन सकता है।
विदित हो कि यह दिवस जाने-माने नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आर. ए. भालचंद्र की याद में ठाणे सिविल अस्पताल में आयोजित किया जाता है। आज जिला शल्य चिकित्सक डॉ. कैलाश पवार की देखरेख में आयोजित इस कार्यक्रम में अतिरिक्त जिला शल्य चिकित्सक डॉ. नेत्र विशेषज्ञ डॉ. शुभांगी आंबडेकर ने बताया कि धीरज महांगड़े के मार्गदर्शन में नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जा रहा है।
आंखें अर्थात चक्षु हमारे महत्वपूर्ण अंगों में सबसे नाजुक संवेदनशील हिस्सा हैं। इसलिए नेत्रों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए उचित आहार, नियमित जांच, तनाव मुक्त जीवनशैली के साथ-साथ धूम्रपान से बचना, धूप का चश्मा लगाना, कंप्यूटर के सामने काम करते समय एंटी-ग्लेयर चश्मा पहनना जैसी आदतें जरूरी हैं।
इस पखवाड़े के अवसर पर चिकित्सा संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों, अस्पतालों और स्कूल-कॉलेजों में नेत्रदान के बारे में जन जागरूकता गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। नागरिकों को बड़ी संख्या में आगे आकर लोगों को नेत्रदान के बारे में जागरूक करना जरूरी है।
प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ और ठाणे सिविल अस्पताल की चिकित्सक डॉ शुभांगी आंबेडकर का कहना है कि नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार, हर दिन कम से कम दो लीटर पानी पीना चाहिए, आधे घंटे के लिए आंखों को आराम देना चाहिए और कम रोशनी में पढ़ने से बचना चाहिए। ये उपाय करने से आंखों का स्वास्थ्य लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है।
आज इस मौके पर जिला सिविल अस्पताल के प्रभारी शल्य चिकित्सक डॉ कैलाश पवार ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि आम लोगों को सिविल अस्पताल में निशुल्क मोतियाबिंद और आंखों से संबंधी कई विकारों के बारे में परामर्श तथा निशुल्क उपचार आसानी से मिल रहा है।उन्होंने आगे कहा कि नेत्रदान उन रोगियों के लिए निश्चय ही आशा की किरण हो सकता है, जो अपनी दृष्टि खो चुके हैं, इसलिए विश्व नेत्रदान दिवस के अवसर पर प्रत्येक जागरूक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह यह संदेश फैलाए कि मृत्यु के बाद नेत्रदान करें, किसी को रोशनी दें ताकि वे आपकी आंखों से इस दिव्य संसार को देख सकें।
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हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा