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पूर्वी सिंहभूम, 10 जून (हि.स.)। पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) मंगलवार को आदिवासी समाज ने जमशेदपुर नगर निगम में पंचायत क्षेत्रों को शामिल करने की प्रस्तावित योजना के विरोध में उपायुक्त कार्यालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया।
मांझी परगना महाल, मानकी-मुंडा समाज, भूमिज मुंडा समाज और जमशेदपुर प्रखंड मुखिया संघ के प्रतिनिधि सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने इस प्रदर्शन में भाग लिया। ढोल-नगाड़ों की थाप, पारंपरिक वेशभूषा और बैनरों के साथ आदिवासियों ने अपनी असहमति दर्ज कराई।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नगर निगम विस्तार योजना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243(जेड सी) का उल्लंघन है, विशेषकर झारखंड के पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में। इस मौके पर जुगसलाई तोरोप परगना दशमत हांसदा ने कहा कि यह आदिवासी स्वशासन, संस्कृति और परंपरा पर सीधा हमला है। उनका कहना था कि नगर निगम बनने के बाद आदिवासियों पर उनकी जमीनों के लिए कर का भारी बोझ पड़ेगा, जिससे उनकी आजीविका पर संकट आएगा।
प्रदर्शनकारियों ने इसे केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और अस्तित्व की लड़ाई बताया। आदिवासी नेताओं ने तीन प्रमुख मांगें प्रशासन के समक्ष रखीं इनमें सरना धर्म कोड को अविलंब लागू करने, झारखंड में पेसा कानून को तत्काल प्रभाव से लागू करने और जमशेदपुर नगर निगम विस्तार योजना को रद्द करना शामिल है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने उनकी मांगों को नहीं माना तो आदिवासी समाज आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार रहेगा और आंदोलन को और भी व्यापक व उग्र बनाया जाएगा। आदिवासी नेताओं ने कहा कि आने वाले दिनों में यह आंदोलन राज्य स्तर पर ले जाया जाएगा, ताकि आदिवासी अस्मिता, अधिकार और अस्तित्व की रक्षा की जा सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक