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तिरुवनंतपुरम, 02 नवम्बर (हि.स.)। देश में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग ने 'ईज़ ऑफ डूइंग रिसर्च एंड डेवलपमेंट' पर आठवीं क्षेत्रीय परामर्श बैठक तिरुवनंतपुरम में की। बैठक में वैज्ञानिक मंत्रालयों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधियों ने मिलकर चर्चा की कि भारत में शोध कार्यों को कैसे आसान, प्रभावी और उपयोगी बनाया जा सकता है।
यह बैठक 30 और 31 अक्टूबर को नेशनल सेंटर फॉर अर्थ साइंस स्टडीज़ (एनसीईएसएस) में हुई। कार्यक्रम की शुरुआत एनसीईएसएस के निदेशक प्रो. एनवी चेलापति राव के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने कहा कि देश के क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान नवाचार आधारित विकास में अहम भूमिका निभा सकते हैं। नीति आयोग के प्रो. विवेक कुमार सिंह ने आरओपीई फ्रेमवर्क की जानकारी दी और बताया कि इसका उद्देश्य शोधकर्ताओं के सामने आने वाली अड़चनों को दूर कर एक अनुकूल माहौल तैयार करना है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने सुझाव दिया कि सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों के अनुभव का उपयोग किया जाए, विश्वविद्यालय-उद्योग-सरकार के सहयोग को मजबूत किया जाए और शोध को समाज से जोड़ा जाए ताकि इसके नतीजे लोगों तक पहुंच सकें। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके सारस्वत ने कहा कि आर एंड डी के लिए संस्थानों की आंतरिक व्यवस्था और बाहरी नीतिगत ढांचे दोनों को बेहतर बनाना जरूरी है।
कार्यक्रम में केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि “ईज ऑफ डूइंग आर एंड डी” का सीधा संबंध नागरिकों के ‘ईज ऑफ लिविंग’ से है और विज्ञान को जनकेंद्रित विकास से जोड़ना समय की मांग है। दो दिवसीय बैठक का समापन विभिन्न संस्थानों, प्रयोगशालाओं और सरकारी प्रतिनिधियों के बीच चर्चा के साथ हुआ, जिसमें सभी ने भारत में एक सहयोगी और प्रभावी शोध व्यवस्था बनाने का संकल्प लिया। ---------------
हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर