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फर्रुखाबाद 2 नवंबर (हि. स.)। डी . पी वी.पी विद्यालय में चल रहे 22 वें मानस सम्मेलन में मनीष तिवारी ने कहा कि मानस की चौपाइयां महामंत्र है । राम कथा श्रवणीय ताे है ही, मननीय और जीवन में उतारने की चीज है । इससे अहंकार ,मोह आदि इंद्रिय दोषों का अंत होता है। मन हृदय तथा आत्मा पवित्र होती है। जीवन में भक्ति की आवश्यकता होती है। श्री राम कथा जीवन जीने की कला है। तुम्हें राम व भरत बनना होगा। उनके आदर्शों को आचरण में लाना होगा ।भरत चरित्र त्याग ,तपस्या साधना का जीवन है। मानव के जीवन में सत्संग आवश्यक है ।भगवान की कथा उनकी कृपा से ही संभव है। सत्संग भक्ति की परिभाषा है।
कुमारी आस्था दुबे ने श्री राम कथा की अमृत वर्षा करते हुए कहा कि मानवता के पुजारी श्रीराम की कथा व्यथा मिटा देती है । सत्संग मोक्ष का माध्यम है। आस्था पत्थर को भी भगवान बना देती है। मानव अपना चरित्र और कर्म सुधार ले तो परम आनंद की प्राप्ति होती है। माता-पिता की सेवा कर अपना घर तीर्थ बना ले, यही स्वर्ग है। यज्ञ का फल अवश्य मिलता है। 9 का अंक सबसे शुभ होता है । उन्होंने श्रीराम जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए सभी को भाव विभोर कर दिया। प्रीति रामायणी ने कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है, तब तक भगवान का अवतार होता है ।श्री राम कथा को जीवन में उतरने की आवश्यकता है। अरिमर्दन शास्त्री ने कहा कि जटायु पर भगवान की विशेष कृपा रही ।भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या मिली और जटायु को भगवान की गोद मिली, क्योंकि जटायु ने माता सीता की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग दिए ।भगवान श्रीराम परोपकारी को सब कुछ दे सकते हैं । स्वार्थी को कुछ भी नहीं । साधना शर्मा ने कहा कि मानस हमें कर्म की प्रधानता की शिक्षा देती है । मानस के अनुसार जो जैसा कार्य करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है। संचालन करते हुए संत कवि बृज किशोर सिंह किशोर ने मानव से जुड़े कई प्रसंगों पर चर्चा करते हुए मानस को सबसे श्रेठ ग्रंथ बताया ।
संयोजक भारत सिंह ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। शकुंतला कनौजिया, शारदा भदोरिया, चंदन सिंह ,गगन सिंह, डॉक्टर विष्णु दत्त शर्मा, मुकेश सिंह गौरांगना दुबे, गिरिराज सिंह कल्लू कनौजिया समाज सेवी संजय गर्ग आदि ने व्यवस्था में सहयोग दिया।
हिन्दुस्थान समाचार / Chandrapal Singh Sengar