सुदृढ़ न्यायिक व्यवस्था से ही पूरे होंगे सुशासन के लक्ष्य : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कार्यक्रम में उपाधि देते हुए।


विश्वविद्यालयों में ई-कोर्ट, साइबर लॉ और एआई आधारित प्रशिक्षण पर सरकार दे रही जोर

लखनऊ, 2 नवंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यहां से निकलने वाले छात्र समाज और राष्ट्र की न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में दिया जाने वाला दीक्षा मंत्र, 'सत्यं वद्, धर्मं चर' (सत्य बोलो, धर्म का आचरण करो) भारत की प्राचीन गुरुकुल परंपरा की नींव है। यही भावना हमारे संविधान, संसद और न्यायपालिका के बोधवाक्य “धर्मो रक्षति रक्षितः” और “यतो धर्मस्य ततो जयः” में भी प्रतिबिंबित होती है।

सीएम योगी ने कहा कि न्याय व्यवस्था जितनी मजबूत होगी, सुशासन के लक्ष्यों को प्राप्त करना उतना ही सरल होगा। उन्हाेंने उदाहरण देते हुए कहा कि प्राचीन काल का रामराज्य भेदभाव रहित और न्यायसंगत शासन का प्रतीक था, जिसे आज की आधुनिक व्यवस्था में सुशासन के रूप में प्राप्त किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार ने न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ई-कोर्ट प्रणाली, वैकल्पिक विवाद निपटान (एडीआर), साइबर लॉ प्रशिक्षण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग पर विशेष जोर दिया है। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में आधुनिक प्रशिक्षण कक्ष, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और छात्रावास के निर्माण कार्य भी कराए जा रहे हैं।

रूल ऑफ लॉ तभी प्रभावी, जब बेंच और बार के बीच बेहतरीन समन्वय सीएम योगी ने कहा कि स्वतंत्रता के अमृत काल में भारत ने तीन नए कानूनों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता को लागू कर न्याय व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि रूल ऑफ लॉ तभी प्रभावी हो सकता है जब बेंच (न्यायपीठ) और बार (अधिवक्ता समाज) के बीच बेहतरीन समन्वय हो।

इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स बनाने की दिशा में कार्य प्रारंभ सीएम योगी ने जानकारी दी कि प्रदेश में इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स बनाने की दिशा में कार्य प्रारंभ हो चुका है। 10 जनपदों में इसके लिए धनराशि जारी कर दी गई है, जहां एक ही परिसर में सभी स्तरों के न्यायालय, अधिवक्ता कक्ष और आवासीय सुविधाएं उपलब्ध होंगी। साथ ही महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों के त्वरित निस्तारण के लिए प्रदेश में 380 से अधिक पॉक्सो और फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किए गए हैं। साथ ही, लोक अदालतों के माध्यम से त्वरित न्याय उपलब्ध कराने के प्रयास भी तेज हुए हैं।

दीक्षांत समारोह में इन विद्यार्थियों ने प्राप्त किये मेडलदीक्षांत समारोह में एलएलएम वर्ग में हर्षिता यादव ने गोल्ड मेडल, आकृति श्रीवास्तव ने सिल्वर मेडल और ऋषभ ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। वहीं बीए एलएलबी वर्ग में अभ्युदय प्रताप को गोल्ड मेडल, साइमा खान को सिल्वर मेडल तथा दर्शिका पांडेय को ब्रॉन्ज मेडल से सम्मानित किया गया। बीए एलएलबी ऑनर्स के अंतर्गत विषयवार सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वालों में लॉ ऑफ टेक्सेशन में स्वर्णायती, क्रिमिनल लॉ में मुस्कान शुक्ला और कॉन्स्टिट्यूशनल लॉ में दर्शिका पांडेय को सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया।

इसी प्रकार साइबर लॉ विषय में अमन कुमार ने गोल्ड, संयुक्ता सिंह ने सिल्वर और प्रांजल पांडेय ने ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त किया। इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स में आत्रेय त्रिपाठी को गोल्ड, अक्षिता सिंह को सिल्वर और श्रेया अवस्थी को ब्रॉन्ज मेडल दिया गया। वहीं मीडिया लॉ में राघव त्रिपाठी ने गोल्ड, इशिका गौतम ने सिल्वर और सान्या गांधी ने ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त कर विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ाया।

इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत, विश्वविद्यालय के विजिटर और सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली, प्रदेश सरकार में मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय, विवि के कुलपति प्रो. अमर पाल सिंह, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्तिगण, विवि के फैकल्टी मेम्बर्स, विधायक राजेश्वर सिंह, उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राएं और उनके अभिभावकगण मौजूद रहे।----------

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन