ज्ञान के प्रकाश से समाप्त होती है माया
हृदयनारायण दीक्षित जीवन प्रकृति का उपहार है। कोई जन्म लेता है। जन्मा शिशु हंसता है। हाथ-पैर चलाता है। परिवार छोटे बच्चों को बढ़ता हुआ देखकर प्रसन्न होता है। फिर आती है जीवन की चुनौतियां। दुख आते हैं। सुख आते हैं। वे बारी-बारी से आते-जाते हैं। परिवा

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