वाईआरएस ने महाराजा गुलाब सिंह जी को उनकी 232वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की
जम्मू, 21 अक्टूबर (हि.स.)। युवा राजपूत सभा ने जम्मू-कश्मीर राज्य के संस्थापक और डोगरा राजवंश के प्रथम डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह को उनकी 232वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी। सभा के सदस्यों ने श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल शालीमार जम्मू में स्थित महार
वाईआरएस ने महाराजा गुलाब सिंह जी को उनकी 232वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की


जम्मू, 21 अक्टूबर (हि.स.)। युवा राजपूत सभा ने जम्मू-कश्मीर राज्य के संस्थापक और डोगरा राजवंश के प्रथम डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह को उनकी 232वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी। सभा के सदस्यों ने श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल शालीमार जम्मू में स्थित महाराजा साहब की प्रतिमा पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। वाईआरएस ने चेयरमेन रघुवीर सिंह के निर्देशन और अध्यक्ष वाईआरएस विक्रम सिंह विक्की की अध्यक्षता में शाही परिवार के सदस्य आरके रणविजय सिंह और वाईआरएस की पूरी टीम के साथ महाराजा गुलाब सिंह को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

श्रद्धांजलि समारोह के दौरान विक्रम ने कहा कि महाराजा गुलाब सिंह जी का योगदान अविस्मरणीय है और उनकी वीरता और दूरदर्शिता के कारण जम्मू कश्मीर उस समय सबसे बड़ा स्वतंत्र और संप्रभु राज्य बना और किसी भी बाहरी देश का जम्मू-कश्मीर में हस्तक्षेप नहीं हुआ लेकिन किसी तरह यह कहना बहुत दुखद है कि रियासत को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार जम्मू-कश्मीर को चुनावों के बाद अपना राज्य का दर्जा मिलना था लेकिन किसी तरह इसमें दिन-प्रतिदिन देरी होती जा रही है। विक्रम ने यह भी अनुरोध किया कि हम 26 अक्टूबर को विलय दिवस से पहले अपना राज्य का दर्जा चाहते हैं। चेयरमैन रघुवीर ने यह भी कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ी को डोगरा शासकों के योगदान और बलिदान को याद रखना चाहिए और उनके स्मरण दिवस पर हमारे शासकों और योद्धाओं को श्रद्धांजलि देनी चाहिए।

इस मौके पर आरके रणविजय सिंह ने जम्मू-कश्मीर के जीवन और गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी दी और कहा कि हमें अपनी पहचान के लिए लड़ना होगा। वहीं पूर्व अध्यक्ष राजन सिंह हैप्पी ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि जम्मू-कश्मीर के प्रशासन और लोगों को महाराजा साहब को श्रद्धांजलि देनी चाहिए लेकिन यह कहना बहुत दुखद है कि कोई भी इस ऐतिहासिक दिन को याद नहीं करता है। इस बीच शालीमार के एसएमजीएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. दारा सिंह अपने स्टाफ सदस्यों के साथ श्रद्धांजलि समारोह में मौजूद रहे और उन्होंने डोगरा शासकों की भूमिका के बारे में बताया कि उनकी दूरदर्शिता के कारण इन बुनियादी ढांचे ने जनता को सेवा दी।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा