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- विभिन्न स्कूल-कॉलेज की छात्राओं ने शानदार प्रस्तुति देकर बढ़ाई महोत्सव की शोभा
- क्लासिकल म्यूजिक और नृत्य की आकर्षक एवं मनमोहक श्रृंखला ने मोहा मन
देहरादून, 21 अक्टूबर (हि.स.)। विरासत महोत्सव में सोमवार को सातवें दिन की शुरुआत स्कूली छात्राओं की शानदार सांस्कृतिक डांस एवं नृत्य के साथ हुई। सांस्कृतिक साधना में छात्राओं की आकर्षक एवं मनमोहक प्रस्तुति ने श्रोताओं का दिल जीत लिया।
विरासत महोत्सव में क्लासिकल म्यूजिक और डांस के साथ नृत्य कला प्रदर्शन बेहद रोमांचक रहा। संत कबीर एकेडमी की छात्रा अनन्या डोभाल ने मोरी गगरिया काहे को फोरी रे श्याम... नृत्य प्रस्तुत कर कार्यक्रम प्रारंभ की। क्लासिकल म्यूजिक और नृत्य की श्रृंखला में पावनी जुयाल ने बरसन लागी बदरिया... नृत्य प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। विरासत महोत्सव में सातवें दिन भी बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिला। क्लासिकल म्यूजिक एवं डांस की शानदार प्रस्तुतियों में श्रीगुरु राम राय डिग्री कॉलेज की छात्रा प्रेरणा मौर्य, केंद्रीय विद्यालय की छात्रा गौरी वर्मा, डीएवी महाविद्यालय की छात्रा नेहा अग्रवाल, टचवुड स्कूल की उन्नति पंगवाल के अलावा देवेना दर्शन रावत, मंचत कौर, अन्वेशा आदि ने लोगों को खूब रिझाया।
सुलेख पर प्रेरक वार्ता की मेजबानी
विरासत साधना के दूसरे चरण में बीएस नेगी एमपीपीएस व कमर डागर ने सुलेख पर प्रेरक वार्ता की मेजबानी कर शानदार एंट्री की। कार्यक्रम में एमपीपीएस की प्रिंसिपल नमिता ममगई और विरासत की ओर से विजयश्री व हरीश अवल जैसी प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल रहीं। प्रसिद्ध चित्रात्मक सुलेखक कमर डागर ने हिंदी और उर्दू लिपियों को मिलाकर एक विशिष्ट दृश्य भाषा बनाने के अपने अनूठे दृष्टिकोण को साझा किया। इन दो लिपियों के बीच कलात्मक तालमेल पर जोर देते हुए हिंदी को बाएं से दाएं और उर्दू को दाएं से बाएं प्रदर्शित किया। उन्होंने दिखाया कि कैसे वह पारंपरिक सुलेख को एक आकर्षक कला रूप में बदलने की क्षमता रखती हैं। सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार व नारी शक्ति सम्मान से सुशोभित कमर डागर ने महिला अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार और पायनियर आर्टिस्ट अवार्ड भी जीता है। शास्त्रीय संगीत में अपने योगदान के लिए जाने जाने वाले प्रतिष्ठित डागर परिवार से आने वाली कमर डागर ने अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में चित्रात्मक सुलेख को चुना है। भारत, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में उनके उल्लेखनीय कार्य निजी संग्रहों में प्रदर्शित हैं, जो उनकी अभिनव भावना और उनके शिल्प के प्रति समर्पण दर्शाते हैं। यह कार्यक्रम एक शानदार सफलता थी, जिसमें डागर की कला के प्रति जुनून और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने विरासत में लोगों को प्रेरित किया।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण