मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में औद्योगिक विकास का नया केंद्र बना रीवा संभाग
भोपाल, 21 अक्टूबर (हि.स.)। रीवा संभाग, जो मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित है, आज तेजी से एक उभरते औद्योगिक केंद्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। अपनी सांस्कृतिक धरोहर, प्राचीनता, प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता और खनिज भंडारों के साथ
मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में औद्योगिक विकास का नया केंद्र बना रीवा संभाग


भोपाल, 21 अक्टूबर (हि.स.)। रीवा संभाग, जो मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित है, आज तेजी से एक उभरते औद्योगिक केंद्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। अपनी सांस्कृतिक धरोहर, प्राचीनता, प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता और खनिज भंडारों के साथ यह क्षेत्र निवेशकों के लिए अनगिनत अवसर प्रस्तुत करता है। यहां न सिर्फ औद्योगिक विकास के लिए मजबूत आधारभूत संरचना तैयार की गई है, बल्कि इसके पर्यटन और ऐतिहासिक महत्व ने भी इसे और अधिक आकर्षक बना दिया है। यह जानकारी सोमवार को जनसम्पर्क अधिकारी बबीता मिश्रा ने दी।

उन्होंने बताया कि चोरहट्टा, गुड़ह बाईपास, और त्योथर जैसे प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन क्षेत्रों में निर्माण सामग्री, कृषि आधारित उद्योग, धातु उद्योग, और खाद्य प्रसंस्करण जैसे उद्योग प्रमुखता से उभर रहे हैं। रीवा का हवाई संपर्क जुड़ने के बाद इन क्षेत्रों में व्यापारिक गतिविधियों की रफ्तार और भी बढ़ गई है, जिससे निवेशकों को माल की ढुलाई और उत्पादों की आपूर्ति में आसानी हो रही है।

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर

जनसम्पर्क अधिकारी ने बताया कि रीवा संभाग का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व इसे पर्यटन के नजरिए से भी महत्वपूर्ण बनाता है। यहां स्थित रीवा किला, गोविंदगढ़ का किला, और मुक्ति धाम जैसे स्थान न केवल ऐतिहासिक धरोहर हैं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, रीवा के साथ जुड़ी बघेलखण्ड की संस्कृति ने भी इस क्षेत्र को एक विशिष्ट पहचान दी है।

खनिज और प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता

उन्होंने बताया कि रीवा संभाग खनिज संसाधनों से समृद्ध है। यहां प्रचुर मात्रा में चूना पत्थर, डोलोमाइट, और बॉक्साइट जैसे खनिज पाए जाते हैं, जो औद्योगिक गतिविधियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन खनिज संसाधनों का दोहन स्थानीय उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराता है, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बल मिलता है।

पर्यटन और पौराणिक महत्व

रीवा संभाग अपने प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटक स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है। केऊटी जलप्रपात, चित्रकूट और सिद्ध बाबा जैसे स्थानों का पर्यटन महत्व है, जो न सिर्फ स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, इस क्षेत्र की धार्मिक धरोहर भी पर्यटन को बढ़ावा देती है।

राष्ट्रीय राजमार्गों और मजबूत कनेक्टिविटी का लाभ

रीवा संभाग से कई प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग (NH 30, NH 75 और NH 39) गुजरते हैं, जो इसे अन्य राज्यों से जोड़ते हैं और व्यापारिक गतिविधियों को आसान बनाते हैं। इन राजमार्गों के साथ ही अब हवाई संपर्क भी उपलब्ध है, जिससे माल की तेज और सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित होती है। रीवा की उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार से निकटता इसे एक लॉजिस्टिक हब के रूप में उभरने का अवसर प्रदान करती है, जिससे निवेशकों के लिए व्यापारिक गतिविधियां सरल हो जाती हैं।

मजबूत आधारभूत संरचना और सरकारी प्रोत्साहन

रीवा संभाग में उद्योगों को स्थापित करने के लिए मजबूत आधारभूत संरचना तैयार की गई है, जिसमें सस्ती औद्योगिक भूमि, बिजली और जल की बेहतर उपलब्धता शामिल है। सरकार की कर छूट, सस्ती दरों पर भूमि और प्रोत्साहन योजनाएं निवेशकों को इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। रीवा संभाग, अपनी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और औद्योगिक धरोहर के साथ, मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का तेजी से उभरता हुआ औद्योगिक केंद्र बन रहा है। हवाई और सड़क संपर्क, प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता, और सरकार की नीतियां इसे निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाती हैं। आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बन सकता है, जिससे स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को नया बल मिलेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर