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जोधपुर, 21 अक्टूबर (हि.स.)। राजस्थान उच्च न्यायालय ने राजस्थान में खरीद बिक्री लेनदेन पर अन्य राज्य महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर पुलिस थाने में दर्ज प्रथम सूचना रपट पर प्रार्थी के खिलाफ किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। न्यायाधीश अरुण मोंगा ने महाराष्ट्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी करते हुए पुलिस को यह भी हिदायत दी कि इस दौरान प्रार्थी से वीडियो कांफ्रेंसिंग या व्हाट्सएप अथवा जूम या गुगल के जरिए अन्वेषण कार्रवाई की जा सकती है।
जोधपुर निवासी प्रवीण शैली ने अधिवक्ता अनिल भंसाली के माध्यम से आपराधिक रिट याचिका दायर कर कहा कि श्याम अग्रवाल ने राजस्थान में स्थित श्री वल्लभ पित्ती साउथ वेस्ट इंडस्ट्रीज के निदेशक शैली के खिलाफ महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर पुलिस थाने में गत 27 सितम्बर को यह कहकर प्रथम सूचना रपट दर्ज कराई कि उन्होंने इंडस्ट्रीज को वर्ष 2018 से 2021 तक करोड़ों रुपए की रुई की गांठे भिजवाई थी और अभी भी एक करोड़ रुपए से अधिक बकाया है।
अधिवक्ता भंसाली ने बहस करते हुए कहा कि समस्त व्यावसायिक कार्रवाई राजस्थान राज्य में होने के बावजूद अन्य राज्य महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर पुलिस थाने को क्षेत्राधिकार नहीं होने के बावजूद महज व्यावसायिक लेनदेन के दीवानी मामले में अग्रवाल के महाराष्ट्र निवासी होने से एफ आई आर दर्ज कर कानून की घोर अवहेलना की है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्रीज का सालवेंसी प्रकरण राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में चल रहा है सो प्रथम सूचना रपट दर्ज किया जाना कानून के साथ मजाक है। उन्होंने कहा कि प्रार्थी 77 वर्षीय कैंसर पीड़ित हैं और उनके खिलाफ तो व्यक्तिगत तौर पर किसी प्रकार का कोई भी मामला नहीं बनता है और दूर दराज राज्य में उन्हें महज परेशान करने वास्ते एफ आई आर दर्ज कराई गई है सो इसे अपास्त किया जाएं।
राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरुण मोंगा ने महाराष्ट्र सरकार और श्याम अग्रवाल को नोटिस जारी करते हुए न केवल प्रार्थी के खिलाफ पुलिस द्वारा दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है बल्कि पुलिस को हिदायत दी है कि प्रार्थी से अन्वेषण वीडियो कांफ्रेंसिंग या व्हाट्सएप अथवा जूम या गुगल के जरिए किया जा सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश