नेपाल में दल विभाजन संबंधी अध्यादेश लाने को लेकर सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और एमाले में मतभेद
- नेपाली कांग्रेस के विरोध करने पर अंतिम समय में कैबिनेट बैठक को स्थगित करना पड़ा काठमांडू, 21 अक्टूबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की तरफ से राजनीतिक दल विभाजन संबंधी अध्यादेश लाने को लेकर की जा रही तैयारियों के बीच सत्तारूढ़ दोनों प्रमुख दल
प्रधानमंत्री ओली तथा कांग्रेस सभापति देउवा


- नेपाली कांग्रेस के विरोध करने पर अंतिम समय में कैबिनेट बैठक को स्थगित करना पड़ा

काठमांडू, 21 अक्टूबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की तरफ से राजनीतिक दल विभाजन संबंधी अध्यादेश लाने को लेकर की जा रही तैयारियों के बीच सत्तारूढ़ दोनों प्रमुख दल नेपाली कांग्रेस और एमाले पार्टी के बीच मतभेद खुल कर सामने आ गया है। इसी मुद्दे पर सोमवार को बुलाई गई कैबिनेट बैठक के एजेंडे के बारे में सहयोगी दलों को भी जानकारी नहीं दी गई लेकिन नेपाली कांग्रेस के विरोध करने पर अंतिम समय में कैबिनेट बैठक को स्थगित करना पड़ा।

प्रधानमंत्री ओली ने सोमवार की शाम को आकस्मिक रूप से कैबिनेट बैठक बुलाई लेकिन एजेंडे के बारे में किसी भी मंत्री को कोई जानकारी नहीं दी गई। जब सहयोगी दल नेपाली कांग्रेस के मंत्रियों ने कैबिनेट मीटिंग के एजेंडे को लेकर पूछताछ शुरू की तो पता लगा कि ओली आज ही राजनीतिक दल विभाजन संबंधी अध्यादेश लाने की तैयारी में हैं। कांग्रेस पार्टी की तरफ से इस संबंध में विरोध करने पर अंतिम समय में आकर कैबिनेट बैठक को स्थगित करने की जानकारी सभी मंत्रियों को भेजी गई।

इस बारे में नेपाल कांग्रेस की तरफ से सरकार में कानून मंत्री अजय चौरसिया ने कहा कि सहयोगियों के साथ बिना विचार विमर्श के किसी भी प्रकार का कानून लाना गठबंधन के भविष्य के लिए सही नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई भी अध्यादेश लाने से पहले कम से कम कानून मंत्रालय की सहमति आवश्यक है लेकिन सबको दरकिनार कर के प्रधानमंत्री अपने मन से अगर इस तरह का कदम उठाते हैं तो गठबंधन पर इसका असर पड़ सकता है।

सरकार में शामिल जनता समाजवादी पार्टी की तरफ से समाज कल्याण मंत्री नवल किशोर साह ने कहा कि शाम 5 बजे बुलाई गई कैबिनेट बैठक को पौने पांच बजे स्थगित होने की जानकारी देने के साथ ही स्टैंड बाय में रहने को कहा गया है। हालांकि, बैठक के एजेंडे के बारे में अब तक नहीं बताया गया है।

नेपाली कांग्रेस के उप सभापति पूर्ण बहादुर खड़का ने कहा कि दल विभाजन संबंधी अध्यादेश लाने में हमारी पार्टी की सहमति अभी तक नहीं दी गई है। अगर प्रधानमंत्री अपने मन से इस तरह का अध्यादेश लाते हैं तो इसके परिणाम के लिए वो स्वयं जिम्मेदार होंगे। खड़का ने बताया कि कुछ ही दिनों में संसद का अधिवेशन शुरू होने से पहले दो तिहाई की बहुमत वाली सरकार को अध्यादेश लाने की क्या आवश्यकता है। अगर इतना ही ज़रूरी है तो संसद का विशेष अधिवेशन भी तत्काल बुलाया जा सकता है।

एमाले के नेता तथा प्रधानमंत्री ओली के प्रमुख सलाहकार विष्णु रिमाल ने कहा कि बीती रात को ही कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शेरबहादुर देउवा, पार्टी के महामंत्री गगन थापा और गृह मंत्री रमेश लेखक के साथ बैठक में अध्यादेश लाने पर सहमति हुई थी लेकिन 12 घंटे में ही ऐसा क्या हो गया जो कांग्रेस पार्टी वाले इसका विरोध कर रहे हैं ? रिमाल ने दावा किया कि दोनों दलों की सहमति से ही अध्यादेश लाने की तैयारी थी लेकिन अब कांग्रेस पार्टी के नेताओं की बात बदल रही है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास