मेरठ मंडल से कृषि निर्यात बढ़ाये जाने की बनाई जाय रणनीति : सुरेंद्र सिंह
मेरठ, 24 जुलाई (हि.स.)। कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये प्रदेश सरकार द्वारा कृषि निर्
मेरठ, 24 जुलाई (हि.स.)। कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये प्रदेश सरकार द्वारा कृषि निर्यात नीति 2019 जारी की गई। इसका उद्देश्य उप्र से कृषि निर्यात को वर्ष 2024 तक 17,591 करोड़ रुपए के वर्तमान मूल्य से दोगुना करना है। मेरठ मंडल के आयुक्त सुरेंद्र सिंह ने कहा कि मेरठ मंडल से कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रणनीति बनाकर कार्य किया जाए। कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तर पर राज्य निर्यात निगरानी समिति, मण्डल स्तर पर मण्डल स्तरीय कृषि निर्यात निगरानी समिति एवं जिला स्तर पर क्लस्टर सुविधा इकाई का गठन किया गया है। मण्डल स्तर की कृषि निर्यात निगरानी समिति की प्रथम बैठक शनिवार को आयुक्त सभागार में किया गया। बैठक में आयुक्त सुरेंद्र सिंह ने कहा कि मेरठ मण्डल का क्षेत्र गंगा, ब्रह्मपुत्र मैदान के अन्तर्गत आने के कारण बहुत उपजाऊ है। यहां सभी प्रकार की मुख्य कृषि फसलें जैसे गन्ना, आलू, गेहूं, चावल, आम, सब्जियों के उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन, मुर्गीपालन आदि होता है तथा निर्यात हेतु अच्छी-अच्छी सड़कें, मण्डल का दिल्ली एयरपोर्ट के नजदीक होना है। जेवर एयरपोर्ट भविष्य में निर्यात हेतु मील का पत्थर साबित होगा। विभिन्न सुविधाओं के बावजूद मण्डल से कृषि निर्यात बहुत कम हो रहा है, जिसके लिए रणनीति बनाकर कार्य किया जाना आवश्यक है। इस कार्य के लिए संयुक्त कृषि निदेशक को नोडल अधिकारी बनाया गया है और प्रत्येक सप्ताह प्रगति रिपोर्ट देने को कहा है। जगपाल सिंह को नीति के सफल कार्यान्वयन एवं मार्गदर्शन/सुझाव हेतु एम्बेसडर नियुक्त किया गया। आयुक्त द्वारा जनपद बागपत में क्लस्टर सुविधा इकाई का गठन एक सप्ताह में कराने तथा क्लस्टर के चयन व निर्यात योग्य कृषि फसलों एवं कृषि उत्पादों को चिहिन्त करने के लिए खण्ड विकास अधिकारी स्तर पर 31 जुलाई, मुख्य विकास अधिकारी स्तर पर 05 अगस्त एवं जिलाधिकारी स्तर पर 09 अगस्त में बैठक का आयोजन कराकर प्रगति रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं। संयुक्त कृषि निदेशक डॉ. अमरनाथ मिश्रा ने बताया कि मेरठ मण्डल में कृषि फसलों के उत्पादन एवं निर्यात की अपार सम्भावनाएं हैं। उन्होंने कईं उदाहरणों के माध्यम से निर्यात को बढ़ाने हेतु महत्वपूर्ण सुझाव दिए। कृषि विवि के अधिष्ठाता प्रो. एनएस राणा ने कहा कि हमें बाजार आधारित मांग के अनुरूप ही गुणवत्तायुक्त फसल उत्पादन की दिशा में कार्य करना चाहिए। इसके लिए विश्वविद्यालय में उपलब्ध पेस्टीसाइड रेजिडयूअल लैब एवं फोटो सैनेटरी लैब की जानकारी भी दी। बासमती निर्यात विकास फाउंडेशन मोदीपुर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि मेरठ क्षेत्र में बासमती उत्पादन की बहुत सम्भावनाएं है। यह क्षेत्र बहुत उपजाऊ है। यहां पंजाब, हरियाणा राज्यों की तुलना में पेस्टीसाईड का कम प्रयोग किया जाता है। बासमती एवं कृषि निर्यात को बढ़ावा देने की दिशा में एपीडा द्वारा तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। मण्डल के तकनीकी कर्मचारियों, कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारियों को निर्यात से सम्बन्धित अद्यतन जानकारी प्रदान कराने हेतु एपीडा द्वारा कार्यशाला के आयोजन का भी सुझाव दिया गया। बैठक का संचालन करते हुए सहायक कृषि विपणन अधिकारी राहुल यादव द्वारा उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति, 2019 के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह नीति किसानों के द्वारा क्लस्टर निर्माण पर आधारित है। क्लस्टर के क्षेत्र के लिए न्यूनतम पात्रता 50 हे0 से 100 हे0 तक है। कृषकों एवं अन्य हितधारकों के लिए प्रोत्साहन राशि का भी प्राविधान किया गया है। हिन्दुस्थान समाचार/कुलदीप